बढ़ चुका है 3.5 °C तापमान
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक ओसाका प्रीफेक्चर यूनिवर्सिटी के रिसर्चर यासुयुकी आओनो ने 812 ईसवी के क्योटो से अब तक का डेटा इकट्ठा किया। ऐतिहासिक दस्तावेजों और डायरीज के आधार पर उन्हें पता चला कि इस साल 1200 साल से भी ज्यादा के वक्त में पहली बार इतनी जल्दी चेरी ब्लॉसम अपने पीक पर था। इस साल क्योटो में इसका पीक 26 मार्च को और राजधानी टोक्यो में 22 मार्च को आया। टोक्यो में यह दूसरी बार इतनी जल्दी आया है। आओनो ने बताया कि सकूरा ब्लूम पर तापमान का काफी असर होता है। सिर्फ तापमान के असर से ही फूल खिलने और पूरी रह ब्लूम भी पहले या देर से हो सकता है। उनके मुताबिक 1820 में तापमान कम था लेकिन उसके बाद से 3.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। इस बार यहां सर्दियों में तापमान काफी कम था लेकिन गर्मियां तेजी से आ रही हैं और तापमान ज्यादा है।
हर साल बदलती है तारीख

कोलंबिया यूनिवर्सिटीज एन्वायरमेंटल हेल्थ साइंसेज के डॉ. लूइस जिस्का का कहना है कि वैश्विक तापमान के बढ़ने का असर जल्द फूल फटने पर पड़ा है। चेरी ब्लॉसम की पीक की तारिख हर साल बदलती है। यह मौसम और बारिश जैसी चीजों पर निर्भर करता है लेकिन ट्रेंड से पता चलता है कि यह पहले होता जा रहा है। क्योटो में पीक सदियों से अप्रैल के मध्य में रहा लेकिन 1800 के दौरान शुरुआत में पहुंचने लगा। मार्च में सिर्फ कुछ ही बार हुआ है।
सामने है बड़ा संकट

हॉन्ग कॉन्ग की चाइनीज यूनिवर्सिटी में अर्थ साइंस के असिस्टेंट प्रफेसर अमोस टाई के मुताबिक, ‘जल्दी ब्लूम समस्या की सिर्फ एक झलक हो सकती है और वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक सिस्टम्स और देशों की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है।’ तापमान शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रहा है। इसका असर सिर्फ पर्यटकों पर ही नहीं, दूसरी प्रजाति के जीवों पर भी पड़ता है क्योंकि सब आपस में जुड़े होते हैं। फूल खिलने के साथ-साथ कीड़ों का विकास भी जुड़ा हुआ है। अगर उनके विकास के दौरान फूल पहले ही खिलकर झड़ गए, तो उनके लिए पोषण की समस्या पैदा हो जाएगी। इसी तरह अगर फूलों के खिलने के समय कीड़े नहीं रहे तो परागण मुश्किल हो जाएगा।