वसंत का मौसम सर्दी और गर्मी के बीच का ऋतुकाल है। दिन में गर्मी और सुबह-शाम को ठंड रहती है। इसे संधि काल भी कहते हैं।
वसंत का मौसम सर्दी और गर्मी के बीच का ऋतुकाल है। दिन में गर्मी और सुबह-शाम को ठंड रहती है। इसे संधि काल भी कहते हैं। इसमें प्राकृतिक रूप से कफ का प्रकोप बढ़ता है। इस मौसम में सर्दी-खांसी-जुकाम आदि के साथ एलर्जी की भी आशंका रहती है। इसमें पराग कण भी अधिक होते हैं। इससे भी एलर्जी की आशंका कई गुना अधिक हो जाती है।
बढ़ती है दिक्कत
शिशिर ऋतु में शरीर में जमा कफ वसंत में गर्मी बढऩे से पिघलने लगता है। इससे थकान, आलस, शरीर में दर्द, जी मिचलाना आदि होता है। कफ ज्यादा बढऩे से टॉन्सिल्स, खांसी, गले में खराश, जुकाम, बुखार (फ्लू) जैसे रोग अचानक से बढऩे लगते हैं। कफ से पाचन की भी दिक्कत होती है।
हल्के गर्म कपड़े पहनें
सर्द-गर्म से बीमार होने की आशंका रहती है। इसलिए अचानक से गर्म कपड़े न छोड़ें। घर से बाहर निकल रहे हैं तो हल्के गर्म कपड़ों के साथ पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें। बच्चों-बुजुर्गों के साथ वयस्कों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
अदरक के साथ उबला पानी पीना ठीक रहेगा
अदरक, करेला, आंवला, परवल, सत्तू, मूंग की दाल, हरी साग-सब्जियां, लौकी, पालक, नींबू, सौंठ, गाजर व मौसमी फलों को भी खाना चाहिए। इस मौसम में गर्म तासीर वाली चीजें, कसैली, तीखी और रस वाली चीजें ही खानी चाहिए। अदरक के साथ उबला हुआ पानी, शहद मिला पानी पीना चाहिए। पुराने अनाज, सरसों का तेल, पीपली, कालीमिर्च, हरड़, बहेड़ा, बेल, छोटी मूली, राई, धान का लावा, खस का पानी पीना अच्छा माना गया हैं।
दही, मिठाई से परहेज
इस ऋ तु में मिठाई, सूखे मेवा, आइसक्रीम, खट्टे-मीठे फल और गरिष्ठ भोजन का परहेज करें। दही न खाएं। दही खाना चाहते हैं तो पानी के साथ छाछ बना लें। इससे तासीर बदल जाती है। नमक कम खाएं। गुनगुने पानी से ही नहाएं।
दिन में न सोएं
इस मौसम में प्राकृतिक रूप से कफ बढ़ता है। अगर दिन में सोते हैं तो कफ और बढ़ेगा। वहीं देर रात तक जागने व सुबह देरी से उठना भी सेहतमंद नहीं है। भूख में कमी, चेहरे और आंखों की चमक भी खत्म हो जाती है। इसलिए रात को जल्दी सोएं और सुबह भी जल्दी उठ जाना चाहिए।
डॉ. हरीश भाकुनी, आयुर्वेद विशेषज्ञ, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर